Health : इन दिनों बच्चे और बुजुर्ग सभी कैल्सियम की कमी से पीड़ित देखें जा रहे हैं। यह हड्डियों और दांतो के लिए विपदा बनकर आता है। हार्ट और किडनी अच्छी तरह काम करें इसके लिए रक्त में कैल्सियम की अच्छी मात्रा होनी चाहिए। कैल्सियम की कमी से होने वाली समस्या हाइपोकैलसिमिया कहलाती है।
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हाइपोकैलसिमिया में हाथ- पैर यदि सुन्न पड़ जाते है, उसमें झुनझनी महसूस होता है और मांसपेशियों में दर्द रहता है। त्वचा रुखी और, दांत खराब हो जाते हैं। कैल्सियम की अधिक कमी से टखने और कलाइयों का आकार बढ़ने लगता है। छाती संकुचित हो जाता है और माथा बाहर की तरफ उभरने लगता है। इसे रिकेट्स या सूखा रोग कहते हैं।
ओस्टियोपोरोसिस कैल्सियम की कमी से होने वाला विकट रोग है जिसमें हल्के से चोट लगने पर फ्रेक्चर हो जाता है। पीठ की हड्डी आगे की तरफ झुक जाती है, हाथ-पैरों में टेढापन सुन्नपन और ऐंठन होने लगता है। पीठ आगे की ओर टेढ़ी और झुक जाती है। लगता है कोई मालिश करता रहे। टेटनी कैल्सियम अत्यधिक कमी की अवस्था है जिसमे उंगलियां, अंगूठे और होठों पर झुनझुनी होने लगती है। बच्चे की लम्बाई नहीं बढ़ रही हो और दांत ठीक से नहीं निकल पा रहे हैं तो कैल्सियम की जांच जरूर करानी चाहिए।
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किस स्थिति में दूध से कैल्सियम की जरूरत पूरी नहीं होती ? दूध और दूध से बने सामान कैल्सियम के बड़े श्रोत है। सही मात्रा में इनके सेवन से कैल्सियम की आवश्यकता प्रायःपूरी हो जाती है। किन्तु यदि मरीज कमजोर पाचन शक्ति वाला हो,पैनक्रियाज मे इन्फेक्शन हो, किडनी के रोग हो तो केवल दूध से कैल्सियम की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। ऐसी हालत में कैल्सियम का लेवल तेजी से घटने लगता है,जो दूध से पूरा नहीं हो पाता। गैस की बिमारी या गैस की गोलियो के हमेशा सेवन से भी कैल्सियम घट जाती है। औरतों को महवारी बंद हो जाने या बच्चेदानी निकाल देने के बाद भी ऐसा ही होता है।
दवा लेने के बावजूद अधिकांश लोगों में कैल्सियम की मात्रा क्यों नहीं बढ़ती? इसके पीछे एक ऐसी महामारी (एपिडेमिक) है जिसे विटामिन डी की कमी कहते हैं। देश के ८५% लोग इस महामारी के अन्दर विटामिन डी की कमी से जूझ रहे है। जबतक विटामिन डी की कमी में रहती है, हाइपोकैलसिमिया ठीक नहीं हो पाता है
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